भाषा बदलें
×
विषय – सामग्री
हिंदी – कुमाउनी
पड़ौसी से वार्तालाप
  • बर्मा जी नमस्कार, क्या अंदर आ सकता हूँ मैं? आज घर ही में दिख रहे हो, दुकान नहीं गये क्या?
    बर्मा ज्यू नमस्कार, के् भितेर ऐ् सकुं मैं? आज घरै में देखीणौं छा, दुकान निं गया के्?
  • नमस्कार दिवान, पूछने का क्या काम हुआ यार, ये तो तेरा ही घर हुआ, अपने घर में क्या पूछना|
    नमस्कार हो दिवान, पुछणौं के् काम भै् यार यमैं, यो् त् तेरै घर भै्, अपंण घर में के् पुछण।
  • अरे नहीं यार, तमीज भी तो कोई चीज होती है| मुझे अच्छा नहीं लगता बिना पूछे अंदर घुसना|
    अरे नै् यार, तमीज लै् क् कोई चीज हुं। मकं भल निं लागन बिना पुछि भितेर घुसण।
  • छोड़ यार तमीज वमीज, यहां बैठ सोफे में| और सुना क्या हो रहे हैं नये ताजे समाचार तेरे|
    छो्ड़ यार तमीज हमीज, या्ं भैट सोफा में। और सुंणा के् है्रैईं नई ता्जि समाचार त्या्र।
  • क्या होते हैं यार नये ताजे अब बुढ़ापे में, नये ताजे तो जवानों के होते हैं, अपने तो वही पुराने हुए|
    के् हुनिं यार नई ता्जि अब बुड़्यांकाव में, नई ता्जि त् जवानना्ंक हुंनी, अपंण त् उई पुराणै भै।
  • कहां से बुढ़ापा आ गया यार तुझे अभी से, अभी तो तू अच्छे अच्छे जवान से ज्यादा काम करता है|
    का्ं बटि बुढ़ा्प् ऐगो यार तुकं अल्लै बटि, आ्इ त् तु भा्ल भा्ल जवानन है् ज्यादा काम कर छै।
  • तभी तो इतनी दूर चल कर तुझसे मिलने आया, तू तो कभी देखने भी नहीं आता हमारे उधर को|
    तबै त् इतु दूर हिट बेर त्या्र पास मिलंण हुं अयुं, तु त् कभ्भै चांण हुं लै् निं ऊंनै हमा्र उथकै।
  • यह बात नहीं है यार असल में इस बीच मैं घर गया हुआ था पहाड़ तब नहीं आ सका तेरे पास|
    तौ् बात न्हां यार असल में बीच में मै घर जै् रैछ्यूं पहाड़ कूंछै, तब निं ऐ सक्युं त्या्र पास।
  • क्यों पहाड़ कब गया था? मुझे पता ही नहीं चला तेरे जाने का, बताता तो मुझे पहाड़ जा रहा हूँ|
    किलै पहाड़ कब गो्छै? मकं पत्तै निं चल त्या्र जाणौ्ंक। बतूंण त् चैंछि मकं कि पहाड़ जा्ंणयुं।
  • अरे यार ऐसा ही हो पड़ा, खड़े खड़े प्रोग्राम बन गया जाने का, तुझे बताने का मौका ही नहीं मिला|
    अरे यार यस्सै है् पड़ौ, खड़ाखड़ी प्रोग्राम बड़ गो् जांणौ्ंक, तुकं बतूंणौ्ंक मौकै निं मिल।
  • मैं समझ गया तेरी बात| तूने समझा होगा कि कहीं इसको भी ले जाना पड़ेगा इसलिये रहने दो|
    मैं समझ गयुं ते्रि बात। त्वील समझ हुनौ्ल कि कैं यकं लै् लिजा्ंण पड़ौ्ल यैक लिजि रूंण दियौ।