पंडित जी फिर आप पूजा करा देंगे, कुछ सामान तो हम घर से ही लाये हैं| जो कमीबेसी है आप बता देना|
पंडित ज्यू पै् अपुं पुज करै दे्ला, कुछ समान त् हम घरै बै लै् रयां। जे कमीबेसि छ् अपूं बतै दियौ।
हां हां, दिखाओ तो सामान मुझे, क्या क्या लाये हो| सामान तो सब ही लाये हो| एक घंटी और एक नारियल भी ले आओ बाहर दुकान से| बस फिर शुरू कर देते हैं पूजा| जाओ तुम ले आओ सामान|
हो्य हो्य, दे्खाऔ धं समान मकं, के् के् लै् रौ्छा। समान सबै लै् रौ्छा। एक घांट भै और एक नारियल भै लियाऔ भैर दुकान बटि। बस फिर शुरू कर दिनुं पुज। जाऔ तुम लियाऔ समान।
लीजिए पंडित जी एक घंटी और एक नारियल भी ले आया हूँ मैं| और तो कुछ नहीं चाहिये?
लियौ पंडित ज्यू एक घांट और एक नारियल भै् लि ऐयूं मैं। और त् के नि चैंन?
नहीं नहीं और कुछ नहीं चाहिये| बाकी जो कमीबेसी होगी मैं पूरी कर दूंगा यहां से| तुम हाथ मुंह धो आओ अब|
नै् नै् और के नि चैंन। बा्कि जे कमीबेसि हो्लि मैं पुर करि द्यूंन या्ं बटि। तुम हा्तमूंख ध्वे आऔ पै्।
पंडित जी पूजा मगर अच्छी तरह से करा देना| हमको जल्दी नहीं है| आराम से कराओ|
ठीक है| बैठो तुम इस तरफ अपनी स्त्री के साथ| बच्चों को इस साइड में बिठा दो| हाथ में जल लो|
ठीक छ्। भैटौ तुम इतरबै अप्ंणि सेंणी दगा्ड़। ना्नतिनन कं यो् साइड में भैटै दियौ। हा्त में जल लियौ।
संकल्प करो| ओम.................|
संकल्पकरौ| ओम.................|
चलो पूजा संपन्न हो गयी अब तुम प्रणाम कर के तीन बार परिक्रमा कर लो हाथ जोड़ कर|
चलो पुज संपन्न है्गे अब तुम प्रणाम कर बेर तीन बार परिक्रमा कर लियौ हात जो्ड़ बेर।
हो गयी परिक्रमापूरी| अब चरणामृत लो और बच्चों को भी बुलाओ|
है्गे परिक्रमा पुरि। अब चरणामिर्त लियौ और ना्नतिनन कं लै बुलाऔ।
लो जजमान, पूजापाठ हो गयी संपन्न| इस थैली में मैंने प्रसाद भी आशीष भी रख दी है| इस घंटी को अब कहीं पर बांध दो मंदिर में कहीं| जय हो इष्टदेव इनका भला करना| परिवार में धनधान्य, सुख शान्ति बनाये रखना| तुम्हारी कृपा से इनकी पूजापाठ संपन्न हो गयी| जय हो भगवान| जय हो गोल जी|
लियौ जजमान, पुजपा्ति है्गे संपन्न। यो् थैलिम मैंल परसाद भै् असीक भै् धरि ह्यैलि। तौ् घांट कं अब कल्लैई बा्दि दियौ मंदिर में कें। जै हो ईष्टा इनौ्र भल करिया। परिवार में धनधान्य, सुख शांति बणै रा्ख्या। तुम्रि किरपाल इन्रि पुजपा्ति संपन्न हैगे। जै हो भगवान। जै हो गो्ल ज्यु।
पंडित जी अब आपकी कृपा से पूजा तो हो गयी| ये हम लोगों की तरफ से छोटी छोटी दक्षिणा स्वीकार करो थोड़ी बहुत जितनी भी है| अभी जरा हाथ टाइट चल रहा है| फिर जब कभी आएंगे तब तुम्हारी अच्छी तरह से सेवा करी जायेगी| बुरा मत मानना| हमारे तो जैसे भी हुए आप ही हुए टाइम बेटाइम काम चलाने वाले|
पंडित ज्यू अब अपूं किरपाल पुज त् है्गे। यो् हम लोग नैं तरबै ना्निना्नि दक्षिणा स्वीकार करौ थो्ड़ि भौत जतुक लै छ्। एैल जरा हात टाइट चल रौ। फिर जब कभै ऊंन तब तुमरि भलीकै सेवा करि जा्लि। नक जन मा्निया। हमा्र त् जस लै भया अपुंई भया टैम बे टैम काम चलूंणीं।
अरे जजमान जो दे दोगे वो ले लूँगा| ऐसी कोई फिकर न करो| पैसा ही जो क्या होता है सब, आदमी के प्यार सबसे बड़ी चीज है| तुम इतने भरोसे से आते हो मेरे पास, ऐसा कुछ नहीं हुआ यहां| तुम हमारे रोज के ही हुए| बस तुम्हारा भला होना चाहिये| सबको देने वाले ये ही परमेश्वर हैं, इन्हीं का आसरा हमको भी है| हम तो इनके सेवक हुए|
अरे जजमान जे् दि देला उ लि ल्यूंन। तस के फिकर नि करौ। डबलै जै के् हुं सब, आ्दिमी प्यार सबन है ठुलि चीज छ्। तुम इतु भ्रोसै्ल ऊंछा म्या्र पास, तस के नि भै या्ं। तुम हमा्र रोजै्का भया। बस तुमर भल हैई चैं। सबन कं दिणि वा्ल यो्ई परमेश्वर छन, इनरै आसौ्र हमनकं लै छ्। हम त इना्र सेवक भयां।
चलते हैं फिर इस समय पंडित जी| फिर कभी दर्शन करेंगे| हम तो आते रहते हैं यहां|
हिटनुं पै् ऐल पंडित ज्यु। फिर कभणि दर्शन करूंन। हम त् ऊंनैं रूंनूं या्ं।