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विषय – सामग्री
हिंदी – कुमाउनी
वैवाहिक प्रीतिभोज में
  • नमस्कार पांडे जी, बधाई हो आपको| देर हो गयी यार मुझे आने में माफ करना|
    नमस्कार पांडे ज्यु, बधा्इ हो् अपूंकं। देर है्गे यार मकं ऊंण में माफ करिया।
  • धन्यवाद हो ठाकुर साहब आप आये बहुत ही अच्छा लगा, आपके आने से हमारी शोभा बढ़ गयी|
    धन्यवाद हो् ठाकुर सैप अपुं आछा भौतै भल ला्गौ, अपूंक ऊंणै्ल हमरि शोभा बढ़ गे।
  • बहुत ही बढ़िया करा यार लड़के का ब्याह हो गया, घर में बहू आ गयी और क्या चाहिये बुढ़ापे में|
    भौतै बढ़ि करौ यार च्योलौ्क ब्या् है्गो, घर में ब्वारि ऐ गे और के् चैं बुड़यांकाव।
  • क्या करूं यार, करना ही था इसका ब्याह भी, माता पिता की जिम्मेवारी जो हुई बच्चों का घरबार जोड़ने की| तभी आदमी गृहस्थी की जिम्मेदारी से मुक्त भी होता है ठीक कह रहा हूं ना| कैसा?
    के् करूं यार, करणैं छि यैक ब्या् लै, मै बूंकि जिमदारी जो् भै् ना्नतिननौ्ंक घर बार जोड़नै्कि। तबै आ्दिम गिरस्ती् कि जिमदारी बटि मुक्त लै हुं, ठीक कूंणंयूं नै। कस?
  • हां कह तो ठीक रहे हो पांडे जी| मेरी जिम्मेदारी तो अभी खड़ी ही है मेरे सिर पर|
    हो्य कूंण त् ठीक रौ्छा पांडे ज्यू। मेरि जिम्मेवारी त् आ्ई ठा्ड़ि छ् म्या्र ख्वा्रम।
  • करो करो यार तुम भी लड़के का ब्याह कहीं ठहराओ| जितनी जल्दी निबट गया उतना भला, गंगा नहा लोगे तुम भी| तुम कहते हो तो मैं भी देखूं कहीं कोई लड़की तुम्हारे लड़के के लिये|
    करौ करौ यार तुमलै च्यो्लक ब्या् कैं ठैरा्औ। जतु जल्दि निपट गे उतु भल, गंग नै लेला तुमलै। तुम कूंछा त् मैंलै देखुं कैं कोई चेलि तुमा्र च्या्ला्क लिजि।
  • गंगा तो बाद में नहाऊंगा पहले कोई लड़की तो मिले अच्छी अच्छी जैसी लड़के के लायक|
    गंग त् बाद में नान पैलि क्वे चे्लि त् मिलौ भलिभलि जै च्या्ला्क लैक।
  • अरे जब ढूंढ खोज करोगे तभी तो मिलेगी, इधर कहो उधर कहो चार आदमियों में जिक्र करो|
    अरे जब ढूंन खोज करला तबै त् मिलै्लि, इथकै कौऔ उथकै कौऔ चार आ्दिमन में जिकर करौ।
  • भाई अपनी तरफ से सब कर रखा है पर विधि का विधान जब होगा तभी तो बात बनती है|
    भाई अपण तरबै सब कर रा्खौ पर विधीक विधान जब हो्ल तबै त् बात बणं।
  • तुमने कह दिया तो अब मैं भी कोशिश करूँगा| चलो जरा लड़के को आशीर्वाद दे दोगे|
    तुमल कै् हा्लौ त् अब मैंलै कोशिश करूंन। हिटौ जरा च्या्ल कं आशीर्वाद दि दे्ला।
  • हां हां चलो तुम्हारी बहू के दर्शन तो कर ही लेता हूँ, कैसी है देखूं देखने भालने में|
    हो्य हो्य हिटौ तुमरि ब्वारिक दर्शन त् करि लिनूं, कसि छ् धें दे्खणचाण में।
  • अब यार मैं बताऊंगा तो कहोगे बड़ी तारीफ कर रहा है अपनी बहू की, तुम चल कर खुद ही देख लो|
    अब यार मैं बतूंनौं तुम कौला बड़ि तारीफ करणौ अपणि ब्वारिकि, तुम खुदै हिट बेर देख लियौ।
  • बेटा यह ठाकुर साहब हैं, डायरेक्टर हैं समाज कल्याण में| प्रणाम कर इनको, बहू तू भी कर|
    च्या्ला यो् ठाकुर सैप छन, डायरेक्टर छन समाज कल्याण में। पैंला्ग कौ इनुधं। ब्वारि तु लै कौ।
  • अरे इसकी कोई जरूरत नहीं है बेटा| मैंने जो तुमको आशीर्वाद देना है, तुम तो बच्चे हुए हमारे|
    अरे तै्कि के जरूरत न्हां बेटा। मैंल जै तुमनकं आशीर्वाद दिंण छ्, तुमऽ ना्ंनै भया हमा्र।
  • जीते रहना बेटा, बधाई है तुम दोनों को| तुम्हारा जीवन सफल हो और क्या कह सकता हूँ मैं|
    जी रयै बेटा। बधा्इ हो् तुम द्विनन कं। तुमर जीवन सफल हो्औ और के् कै सकनूं मैं।
  • ले बहूये शगुन है तेरा मुंह देखने का| रख ले बेटी इसको या तो शगुन हुआ, मना नहीं करते|
    ले् ब्वा्रि यो् शगुन छ् त्यो्र मूख देखियौ्क। धर ले चेलि यकं यो् त् शगुन भै, नैं निं करन।
  • चलो हो थोड़ी चाय पानी या कुछ ठंडा वंडा पियोगे| फिर जो होंगी आराम से बातचीत|
    हिटौ हो् मुणिं चहापा्णि या के ठंडहंड पे्ला। पै जै हो्लिंन आरामैल बातचीत।
  • चाय तो यार मैं नहीं पीता, गरम बहुत हो रहा है| हां कुछ ठंडा वंडा मंगा ले, वो तो पिया भी जायेगा|
    चहा त् यार मैं निं पिन्यूं, गरम है्रौ भौ्तै। हो्य के् ठंडहंड मंङै ले, उ त् पिई लै् जा्ल।
  • जरूर जरूर ठंडा मंगाता हूँ| मेरा भी मन हो रहा है पीने को, गर्मी बहुत हो रही है|
    जरूर जरूर ठंड मंङू। मेर लै् मन है्रौ पिंण हुं, गर्मी भौतै है्रै।
  • अब चलता हूँ यार ठंडा भी पी लिया है| घर भी जाना है अभी| ऑफिस से सीधे यहीं आया|
    अब हिटूं यार ठंड लै पि है्लौ। घर लै जा्ंण छ् आ्इ। औफिस बै सिद्ध यैं ऐयूं।
  • ऐसा नहीं होता, खाना तैयार है खा कर जाओगे| ऐसा कहां होता है बिना खाये कोई जाता है क्या?
    तस नि हुंन, खा्ंण तय्यार छ् खै् बेर जा्ला। तस का्ं हुं। बिन खय्यै क्वे जा्ं के?
  • पांडे जी यार खाना नहीं खा सकता मैं क्योंकि डाक्टर ने परहेज बता रखा है भारी खाना खाने का|
    पांडे ज्यू यार खा्ंण नि खै् सकन्यूं मैं किलै कि डाक्टरै्ल परहेज बतै रा्खौ गरिष्ट खा्ंणौ्ंक।
  • अच्छा तब तो कोई बात नहीं पर यार अच्छा नहीं लग रहा है बिना खाये जा रहे हो|
    अच्छा तब त् के बात नै पर यार भल नि ला्ंगणैं बिन खय्यै जांणौं छा्।
  • बुरा मानने की कोई बात नहीं है हो| अपने घर ही की बात तो हुई फिर खा लूंगा कभी घर आकर|
    नक मा्ंनणैं के बात न्हां हो्। अपण घरै्कि बात त् भै् फिर खै् ल्यून कभै घर ऐ् बेर।
  • हां ये कही तुमने बात| घर आना किसी दिन आराम से घर की रोटी खाओगे, आना जरूर नमस्कार|
    हां तौ् कै तुमल बात। घर एै्या कदिनै आरामैल घरा्क रवा्ट खा्ला, अया जरूर नमस्कार।