सिपाही - हां मैं भी पहाड़ का ही हूँ | हमारा घर जैनोलि में है, रानीखेत से पहले |
हो्य मैंलै पहाड़ौ्कै छुं। हमर घर जैनौ्लि छ्, रा्णिखेत है पैलि।
लड़का- फिर तो तुम हमारे इलाके के ही हुए | भाई असल में मैं हल्द्वानी मोटर साइकिल लेकर पहली बार आ रहा हूँ | कंपनी में सर्विस करवानी थी इसकी तब इसको लेकर आना पड़ा | हेल्मेट के बारे में मुझे कुछ पता ही नहीं था |
फिर त् तुम हमा्र इलाका्कै भया। दादी असम में मैं हल्द्वा्णि मोटर साइकिल लिबेर पैल बार ऊंणयूं। कंपनी में सर्विस करूंणि छि यै्कि तब यकं लिबेर ऊंण पड़ौ। हेल्मेटा्क बा्र में मकं के पत्तै नि छि।
सिपाही - तुझे पता नहीं था कि यहां आजकल बहुत सख्ती हो रही है | बिना हेल्मेट पहने मोटर साइकिल चलाने में चालान हो जा रहा है | कोई रियायत नहीं हो रही है किसी के साथ भी नहीं | हेल्मेट तो अब बहुत ही जरूरी हो गया है यहां |
तुकं पत्त नि छि कि या्ं आजकल भौत सख्ती है रै। बिना हेल्मेट पैरि मोटर साइकिल चलूंण में चालान है जा्ंणौं। कोई रियायत नि हुणें, कैकै दगाड़ लै नै। हेल्मेट त् भौतै जरूरी है्गो अब या्ं।
लड़का- पर भाई साहब सच कह रहा हूँ मुझे बिल्कुल भी पता नहीं था कि हेल्मेट पहनना जरूरी हो गया है यहां| पता होता तो बिना हेल्मेट के मैं क्यों गाड़ी चलाता | रानीखेत के गांवों के ओर तो ऐसी कोई चैकिंग होती ही नहीं | न ही उधर की ओर ऐसे कानून की कोई जानकारी है |
पर दाज्यू सच्ची कूंणयूं मकं बिल्कुल लै पत्त नि छि कि हेल्मेट पैरण जरूरी है्गो या्ं। पत्त हुनों तो बिना हेल्मेटै्क मैं किलै गा्ड़ि चलूंन्यूं। रा्णिखेता्क गौंनां उज्याणि त् तसि कोई चैकिंग हुंनि न्हां। नै उथकै उज्याणि तस कानूनै्कि कोई जानकारी छ्।
सिपाही - पर अब तो बड़ी मुश्किल हो गयी क्योंकि दरोगा साहब बैठे हुए हैं सामने में | वही जो करेंगे अब, उनको सच्ची बात बता दे और माफी मांग लेना | मैं भी कह दूंगा जरा |
पर अब त् बड़ि मुश्किल हैगे किलै कि दरोगा सैप भैट रईं सामणिं में। उई जे करा्ल अब, उनन कं सच्ची बात बतै दे और मा्फि मा्ंगि लियै। मैंलै कै द्यूंन जरा।
सिपाही - सर ये लड़का रानीखेत से गाड़ी लेकर यहां पहली पहली बार आ रहा है | इसको पता नहीं था की यहां हेल्मेट पहनना जरूरी है | रानीखेत में तो कोई पूछता ही नहीं इसलिये वैसे ही यहां भी आगया |
सर यो् लौंड रा्णिखेत बटि गा्ड़ि लिबेर या्ं पैलि पैलि ऊंणौ। यकं पत्त नि छि कि या्ं हेल्मेट पैरण जरूरी छ्। रा्णिखेत में त् क्वे पुछनै न्हां यैक लिजि उस्सिकै या्ं लै ऐगो।
दरोगा साहब - क्यों रे, तुझे पता नहीं था कि यहां अब हेल्मेट पहनना जरूरी हो गया है | बिना हेल्मेट के चालान है|
किलै रे,तुकं पत्त नि छि कि या्ं अब हेल्मेट पैरण जरूरी है्गो। बिना हेल्मेट तुरंत चालान छ्।
लड़का- सर मुझे पता होता तो मैं ऐसी गलती क्यों करता | मुझे वाकई पता नहीं था | इस बार माफ कर दीजिये |
सर मकं पत्त हुनौ ता मैं तसि गलती क्युंहुं करन्यूं। मकं वाकई पत्त नि छि। यो् बार माफ कर दियौ।
दरोगा साहब - चल इस बार तो तुझे माफ कर रहा हूँ वो भी इसलिये कि तू पहली पहली बार पहाड़ से हल्द्वानी आ रहा है | तेरी जगह में कोई और होता तो सीधे चालान काट देता मैं | लेकिन माफी तब मिलेगी जब तू हेल्मेट खरीदेगा और अभी पहनेगा | जा हो पान सिंह इसको हेल्मेट वाले की दुकान दिखा दे | जा पान सिंह के साथ, पहले हेल्मेट खरीद कर ला और मुझे दिखा पहन कर | तभी छोडुंगा तुझे|
चल यो् बार त् तुकं माफ करणयूं उलै यैक लिजि कि तू पैल पैल बार पहाड़ बटि हल्द्वा्णि ऊंणौछै। तेर जा्ग में क्वे और हुनौ तो सिद्ध चालान का्टि दिन्यूं मैं।लेकिन मा्फि तब मिलै्लि जब तू पैलि हेल्मेट खरिदलै और अल्लैई पैर लै। जा् हो पान सिंह यकं हेल्मेट वा्लै दुकान देखै दे। जा् पान सिंह दगड़ि, पैलि हेल्मेट खरिद बेर ला और मकं दे्खा पैर बेर। तबै छोडुन तुकं।
सिपाही- चल हो उधर वहां सामने में दुकान हा एक | पैसे हैं ना हेल्मेट के लिये तेरे पास |
हिट हो पार वां सा्मणिं में दुकार छ् एक। डबल छन नै हेल्मेटा्क लिजि त्या्र पास।
लड़का - तुम रहने दो दाज्यू मैं जाकर खुद ही खरीद लाता हूँ | खाली क्यों तकलीफ करते हो | मुझे मालूम हो गयी है दुकान |
लड़का - भाइसाब एक हेल्मेट देना अच्छा, कितने का है ? चार सौ रुपये का| ठीक है ये लीजिये चार सौ रूपये|
दाज्यू एक हेल्मेट दि दिया भल जस, कतुकौ छ् ? चार सौ रुपै्ंक। ठीक छ् यो् लियौ चार सौ रुपैं।
लड़का - सर ये देखिये अब मैंने हेल्मेट खरीद कर पहन भी लिया है | अब तो ठीक है |
सर यो् दे्खौ अब मैंल हेल्मेट खरिद बेर पैर लै है्लौ। अब त् ठीक छ्।
दरोगा साहब - हां अब ठीक है | चल इस बार तुझे पता नहीं था इसलिये माफ कर दिया मैंने | आइन्दा फिर बिना हेल्मेट पहने मत दिखायी देना मुझे | नहीं तो सीधे चालान कर दूंगा | चल भाग यहां से अब |
हो्य अब ठीक छ्। चल यो् बार तुकं पत्त नि छि यैक लिजि माफ कर दे मैंल। आइन्दा फिर बिना हेल्मेट पैरि जन देखैई दियै मकं। नतर सिद्ध चालान कर द्यूंन। चल भा्ज या्ं बटि अब।
लड़का - धन्यवाद सर, अब तो मैं सब जगह चाहे पहाड़ हो या प्लेन्स हमेशा हेल्मेट पहन कर गाड़ी चलाऊंगा |
धन्यवाद सर, अब त् मैं सब जा्ग चाहे पहाड़ हो या प्लेन्स हमेशा हेल्मेट पैर बेरै गा्ड़ि चलूंन।
दरोगा साहब - ठीक है| अब रानीखेत जाकर वहां भी सबको बता देना की यहां हेल्मेट पहन कर आयें |
ठीक छ्। अब रा्णिखेत जैबेर वा्ं लै सबनकं बतै दियै कि या्ं हेल्मेट पैर बेर अया।