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विषय – सामग्री
हिंदी – कुमाउनी
चाय की दुकान में
  • भाईसाहब चायपानी है क्या तुम्हारे यहां ?
    भा्इ सैप चहापा्ंणिं छ् के् तुमा्र या्ं।
  • हां हां आओ बैठो, क्या बनाऊं चाय या कॉफी ?
    हो्य हो्य आऔ भैटौ, के् बणूं चहा या कौफी।
  • अरे कॉफी कौन पी रहा है, बड़े आदमियों की चीज हुई ये तो | हम दो जनों के लिये तो चाय ही बनाओ जरा बढ़िया जैसी |
    अरे कौफी को् पिणौं,ठुल आ्दिम नै्कि चीज भै यो् त्। हम द्वि जा्ंणिनां लिजि त् चहाई बड़ा्औ,जरा बढ़ि जसि।
  • कोई बात नहीं, कॉफी नहीं चाय ही सही | पियो तो सही कुछ न कुछ | ग्राहक जो कहेगा हमारा काम तो वही पिलाने का हुआ | चाय कैसी पियोगे टपुक वाली या चीनी डालूँ |
    क्वे बात नै, कौफी नै चहा्ई सही। पियौ त् सही के न के। गाहक जे कौल हमर काम त् उई पेउणौ्ंक भै्। चहा कस पे्ला टपुक वा्लि या चिनि खितुं।
  • टपुकी वाली? ऐसा क्या कह रहे हो आजकल के चीनी वाले जमाने में | अब तो सब जगह चीनी वाली चाय ही मिलती है |
    टपुकि वा्ली ? तस के् कूंणौंछा आजकला्क चिनि वा्ल जमा्न में। अब त् सबै जा्ग चिनि वालै चहा मिलं।
  • बात तो तुम सही कह रहे हो भाई साहब पर पूरे उत्तराखंड में एक मेरी ही दुकान है जहां अभी तक टपुकी वाली चाय मिलती है | जरा पीकर तो देखो | याद करोगे तुम भी कैसी चाय पी थी लोहाघाट में |
    बात त् तुम सही कूंणौंछा दाज्यू पर पुर उतराखंड में एक मेरिऽ दुकान छ् जा्ं आ्इ जांलै टपुक वा्ल चहा मिलं। जरा पि बेर त् देखौ। याद करला तुम लै कस चहा पेछि लुघाट में।
  • अच्छा| तारीफ तो बड़ी कर रहे हो अपनी टपुकी चाय की तो लाओ टपुकी चाय ही पिलाओ हमको भी |
    अच्छा। तारीफ त् बड़ि करणौंछा हो अपंण टपुकि चहाक ता ल्या्औ टपुकि चहा्इ पेवाऔ हमनकं लै।
  • बैठो बैठो आराम से | कुछ खाने को भी दूं तब तक क्या ? आलू के गुटके हैं, पकौड़ी है | चाय बन रही है तब तक |
    भैटौ भैटौ ऐरामै्ल। के खा्ंणहुं लै द्यूं तब जांलै के ? आलुक गुटुक छन, पकौड़ि छ्। चहा बड़्नौ तब तक।
  • दे दो कुछ भी, गुटके ताजी हैं तो गुटके ही दे दो पर खटाई डाल कर देना भाई और भुनी हुई मिर्च भी |
    दि दियौ के लै, गुटुक ता्जि छन त् गुटुकै दि दियौ पर खटै खिति बेर दिया भाई और भुटि खुस्या्णि लै।
  • ये लो आलू के गुटके और स्पेशल भांग की खटाई, खाकर याद करोगे कहीं आलू के गुटके खाये थे |
    यो् लियौ आलु गुटुक और स्पेशल भा्ंङै खटै, खै बेर यादै करला कें आलु गुटुक खाछि।
  • वाह वाह दादी | तुमने तो जीभ में स्वाद ही जगा दिया और दो तो गुटके | बहुत ही जोरदार हो रहे हैं सच में |
    वा्हवा दादी। तुमलऽ जिबड़ि में स्वादै जगै दे आ्इ दियौ धं गुटुक। भौतै जोरदार हैरै्ई सच्ची में।
  • तभी तो कह रहा था मैं याद करोगे, झूठ जो क्या बोल रहा था | और खाओ जम के | चाय भी तैयार है, दूँ?
    तबै त् कूणैं छ्युं मैं याद करला, झुटि जै के् बलांणैं छ्युं। और खा्औ जम बेर। चहा लै तय्यार छ्, द्यूं ?
  • हां दे दो लाओ | जरा एक गिलास पानी भी पिला दो तो, मिर्च लग गयी है दुष्ट |
    हो्य दि दियौ लाऔ। जरा एक गिलास पा्ंणि लै पेवै दियौ धं, खुस्या्णि ला्गि गे बज्यूणि।
  • टपुक की की लगाओगे ? गुड़ की, मिश्री की या गट्टे की|
    टपुक क्यै्कि लगाला ? गड़ै्कि, मिसिरिकि या गट्टैकि।
  • तुम तो अजीब ही नाम ले रहे हो टपुक का | या गट्टा क्या होता है अभी ? हमने तो न कभी सुना न खाया | दिखाओ तो जरा |
    तुम त् अणकस्सै नाम लिणौ्ंछा टपुकौ्क। तौ गट्ट के् हुं आ्इ। हमलऽ त् नै कभै सुंण न खै्। दिखा्औ धं मुणीं।
  • तब तुम आज गट्टे की टपुक लगा कर ही चाय पियो | चनियां की चाय फेमस है पूरे लोहाघाट में |
    तबऽ तुम आज गट्टैकि टपुक लगै बेर चहा पियौ। चनियां चहा फेमस छ् पुर लुघाट में।
  • अच्छा तो चनि दा हुए तुम, चलो तुम्हारा नाम भी पता लग गया | किसी दूसरे को भी बतायेंगे कि चनिदा के वहां चाय जरूर पीकर देखना |
    अच्छा तो चनि दा भया तुम चलो तुमर नाम लै पत्त ला्ग गो्। कै दुहा्रकं लै बतून कि चनिदा् वां चहा जरूर पिबेर देखिया।
  • भई वाह चनिदा | तुमने तो आनंद कर दिया यार गट्टे की टपुक वाली चाय पिला कर | यार ऐसी चाय वाकई कहीं नहीं पी आज तक |
    भ्इ वा्ह चनिदा्। तुमल त् आनंद कर दे यार गट्टैकि टपुक वा्लि चहा पेवै बेर। यार यस चहा वाकई कें नि पि आजा्ंलै।