कोई बात नहीं, कॉफी नहीं चाय ही सही | पियो तो सही कुछ न कुछ | ग्राहक जो कहेगा हमारा काम तो वही पिलाने का हुआ | चाय कैसी पियोगे टपुक वाली या चीनी डालूँ |
क्वे बात नै, कौफी नै चहा्ई सही। पियौ त् सही के न के। गाहक जे कौल हमर काम त् उई पेउणौ्ंक भै्। चहा कस पे्ला टपुक वा्लि या चिनि खितुं।
टपुकी वाली? ऐसा क्या कह रहे हो आजकल के चीनी वाले जमाने में | अब तो सब जगह चीनी वाली चाय ही मिलती है |
टपुकि वा्ली ? तस के् कूंणौंछा आजकला्क चिनि वा्ल जमा्न में। अब त् सबै जा्ग चिनि वालै चहा मिलं।
बात तो तुम सही कह रहे हो भाई साहब पर पूरे उत्तराखंड में एक मेरी ही दुकान है जहां अभी तक टपुकी वाली चाय मिलती है | जरा पीकर तो देखो | याद करोगे तुम भी कैसी चाय पी थी लोहाघाट में |
बात त् तुम सही कूंणौंछा दाज्यू पर पुर उतराखंड में एक मेरिऽ दुकान छ् जा्ं आ्इ जांलै टपुक वा्ल चहा मिलं। जरा पि बेर त् देखौ। याद करला तुम लै कस चहा पेछि लुघाट में।
अच्छा| तारीफ तो बड़ी कर रहे हो अपनी टपुकी चाय की तो लाओ टपुकी चाय ही पिलाओ हमको भी |