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विषय – सामग्री
हिंदी – कुमाउनी
सब्जी की दुकान में
  • अरे क्या हो रहे हैं रे पनुवां तेरे हालचाल और क्या हाल हैं आज तेरी साग सब्जी के?
    अरे के् है्रैईं रे् पनुवां त्या्र हालचाल और के् हाल छन आज त्या्र सागपाता्क
  • नमस्कार बाबू साहब, तुम्हार कृपा है सब| आज तो तुम्हारे मतलब की सभी सब्जी लाया हूँ|
    नमस्कार बाब सैप, तुमरि किरपा छ् सब। आज त् तुमा्र मतलबौ्क सबै साग लै्रयूं।
  • अच्छा किया यार, आज सब्जी भी सभी चाहिये| मुझे फिक्र हो रही थी, कहीं मंडी ना जाना पड़े मुझे|
    भल करौ यार, आज साग लै् सबै चैं। मकं फिकर है्रै छि, कैं मंडी निं जा्ंण पड़ौ मकं।
  • अच्छा तो तिवारी जी ने बताया तुझे तभी अंतर्यामी बना तू| मैं भी कहूँ इसे कैसे पता लगा की आज सब्जी चाहियेगी मुझे| चल जो भी किया बड़ा अच्छा किया यार| मैं तो टेंशन में था कि कल सुबह सुबह मंडी जाना पड़ेगा, टेंशन दूर हो गयी| आदमी समझदार है तू इतना ख्याल रखता है लोगों का|
    अच्छा तो त्याड़ ज्यूल बता तुकं तबै अंतर्यामी बड़ छै् तु। मै्ंलै कूं यकं कसि पत्त ला्गौ कि आज साग चैल मकं। चल जे्लै करौ बड़ भल करौ यार। मैं त् टेंशन में छ्युं कि भो रत्तै रत्तै मंडि जा्ंण पड़ौ्ल, टेंशन दूर है्गे। आदिम समझदार छै तु इतुक ख्याल धर छै् लोगनौ्ंक।
  • आलू वही रोजाना के ही भाव हैं, आज कोई नये रेट जो क्या हैं| और जो जो चाहिये सब बता दो|
    आ्लु उई रोजा्कै भौ् छन, आज कोई नई रेट ज् के् छन। और जे् जे् चैं सब बतै दियौ।
  • लिख ले| टमाटर 10 किलो, कद्दू 5 किलो, मटर अच्छी वाली है न? 5 किलो मटर भी दे| बन्द गोभी बनाई जाये या फूल गोभी? चल बन्द गोभी अच्छी दिख रही है, 5 किलो वह भी रख दे| बाकी हरा धनियां, मिर्च सब्जी के हिसाब से रख दे और हां अदरक तो भूल ही गया असली चीज आधा किलो वह भी रख| हां यार सलाद भी तो बनेगा मूली 5 किलो, खीरा 5 किलो बस हो गया|
    ले्ख ले। टिमाटर 10 किलो, कद्दू 5 किलो, मटर भा्ल वा्ल छन नै? 5 किलो मटर लै दे। बन्द गो्बि बणैंई जा्औ या फूल गो्बि? चल बन्द गो्बि भलि दे्खिणैं, 5 किलो उलै धर दे। बा्कि हरि धणिं, मर्च सागा्क हिसाबै्ल धर दे और हां अदरक त् भुलि गयुं असली चीज आ्दु किलो उलै धर। हो्य यार सलाद लै्क बड़ौ्ल मुल 5 किला, खिर 5 किलो बस है्गो।
  • ये लो बाबू साहब सब्जी तो सब हो गयी तुम्हारी| कुछ बाकी रह गया या और भी कुछ चाहिये तो वह भी बताओ और पर्चे के हिसाब से मिला भी लो| बोरा कट्टा लाये हो कुछ या मैं दूँ यहां से|
    यो् लियौ बा्ब सैप साग त् सब है्गो तुमर। के बा्कि रै्गो या और लै् के चैं ता उलै बताओ और पर्चा्क हिसाबै्ल मिलै लै् लियौ। बोरी कट्ट लै् रौछा के या मैं द्ंयुं या्ं बटि।
  • ये सब तो यार तू ही अपने पास से एक दो कट्टों में रख दे अच्छी तरह से, मैं तो लाना ही भूल गया घर से, तुझे दे जाऊँगा वापस लेकिन यार टमाटर सबसे ऊपर रखना| पैसे भी बता जोड़ कर|
    तौ् सब त् यार तुई अपंण पास बटि एक द्वि कट्टन में धर दे भलीकै, मैं त् ल्युंणैं भुल गयुं घर बटि, तुकं दि जूंन वापस लेकिन यार टिमाटर सबन है मलि धरियै। डबल लै् बता जो्ड़ बेर।
  • कट्टे में तो रखूँगा ही| पैसे तो हो गये तुम्हारे ये 475 रुपए पर तुम मुझे तीन सौ रुपए मात्र ही दो|
    कट्ट में त् धरूंनै। डबल त् हैगै्ईं तुमा्र यो् 475 रुपैं पर तुम मकं तीन सौ रुपैं मात्रै दियौ।
  • क्यों रे चार सौ पिचहत्तर हुए और तीन सौ रुपये दो क्यों कह रहा है, मेरी समझ में नहीं आया|
    किलै रे चार सौ पिछत्तर भईं और तीन सौ रुपैं दियौ किलै कूणौं छै, मेरि समझ में निं ऐ।
  • बाबू साहब भगवान का काम है न, भगवान मेरे भी तो हुए इसलिये मुनाफा कैसे ले सकता हूँ अभी|
    बा्ब सैप भगवानौ्ंक काम छ् नें, भगवान म्या्र लै् क् भै् यैक लिजि मुना्फ कसि लि सकुं ऐल।
  • तू तो बड़ा भगत आदमी है भगवान का रे पनुवां| अच्छा कर रहा है रे ऐसे ही होती है आदमी की उन्नति जीवन में फिर भी ये तो हमारा काम है इसलिये अभी तू ये पैसे पकड़ पांच सौ का नोट है|
    तु त् बड़ भगत आदिम छै् भगवानौ्ंक रे पनुवां। भल करणौं छै् रे तस्सिकै हुं आ्दिमीक उन्नति जीवन में फिर लै यो् त् हमर काम छ् यैक लिजि ऐल तु यौ् डबल पकड़, पांच सौक नोट छ्।
  • ये लो साहब दो सौ रुपये तुम पकड़ो, पनुवां ने जो कह दिया वो कह दिया| तुम्हारा दिल तब भी न माने तो ये दो सौ रुपये मेरी तरफ से छोटी सी भेंट समझ कर भगवान को अर्पण कर देना| और कुछ चाहियेगा टाइम बेटाइम, भेज देना किसी को भी पनुवां की दुकान में| मैं भेज दूंगा सागसब्जी और जो कुछ चाहिये होगा|
    यो् लियौ सैप द्वि सौ रुपैं तुम पकड़ौ, पनुवैल जे कै् दि उ कै् दि। तुमर दिल तब लै् निं मानौ ता यो् द्वि सौ रुपैं मे्रि तरब बटि नांनिं भेंट समझ बेर भगवान क्ं अर्पण कर दिया। और के चैलौ टैम बिटैम, लगै दिया कैकं लै् पनुवै्ंकि दुकान में। भे्जि द्यूंन सागपात और जे लै चैल।
  • कम पड़ेगा तो तू ही तो हुआ हमारा साहूकार, तेरे ही पास आऊँगा| और हां सब्जी खाने को तू भी आना जरूर मेरा मतलब रामायण का निमंत्रण भी दे रहा हूँ तुझे, आना जरूर नहीं तो हुक्कापानी बन्द|
    कम पड़लौ तो तुई त् भयै हमर सौकार, त्या्रै पास ऊंन। और हां साग खा्ंण हुं तु लै ऐयौ जरूर मेर मतलब रामायणौ्क न्यूंत लै् दिणंयूं तुकं, अयै जरूर नतर ह्वा्कपा्ंणि बंद।
  • जरूर आऊँगा साहब लेकिन आऊँगा रात को ही क्योंकि दिन में टाइम नहीं मिल सकता कैसे भी|
    जरूर ऊंन सैप लेकिन ऊंन रातै हूं किलै्कि दिन में टैम निं मिल सकन कसिकै।
  • अरे ठीक है रात को ही आना लेकिन आना जरूर| दिन में दुकान भी देखनी हुई यह तो पहली ड्यूटी है| ठीक है फिर अभी मैं चलता हूँ| ये दोनों कट्टों को पकड़ा दे मुझे स्कूटर में रख लेता हूँ|
    अरे ठीक भै् रातै हुं अयै लेकिन अयै जरूर। दिन में दुकान लै् देख्ंणिं भै् यो् त् पैल ड्यूटि छ्। ठीक छ् पै् ऐल मैं हिटुं। तौ् द्विनों कट्टन क्ं पकड़ै दे मकं स्कूटर में धर ल्युं।
  • ये लो साहब पीछे से रख कर बांध दिया है अच्छी तरह| ठीक है, चलिये फिर नमस्कार|
    यो् लियौ सैप पछिल बै धरि बेर बा्दि है्लौ भलीकै। ठीक छ्, हिटौ पै् नमस्कार।